विद्या भारती ~ शिक्षा और संस्कार का अनूठा संगम
विद्या भारती ~ शिक्षा और संस्कार का अनूठा संगम
जो पतित को भी पावन करती रही,
धर्म ग्रन्थों ने उसे प्रभु आरती कहा।
जहाँ शिक्षा में संस्कार का मेल हो,
तब सबने उसे विद्या भारती कहा।
आइये तज्ञ भिज्ञ बनें हम सब,
नयी नयी तकनीक को जानें।
कर्मठ लगनशील हो करके,
करणीय कार्यों को पहचानें।
नीति शिक्षा की है जैसी,
वैसी सूझबूझ अपनायें।
'की टू सक्सैस' रख के ध्यान में,
नित नूतन खोजी बन जायें।
शिक्षा में संस्कार का संगम,
चहुँ दिश में प्रसार बढ़ाएं।।