प्रचार -प्रसार का ध्येय
प्रचार -प्रसार का ध्येय
प्रमुख सूचना को हम जानें,
उसका सुविस्तार करें।
चारों दिशाओं में अपने वतन से,
हृदय तल से प्यार करें।
रत हो कर्म क्षेत्र में अपने,
गतिविधियों का प्रसार करें।
विद्वत जन भी करें समर्थन,
समाचार जब यथार्थ मिले।
भारतीयता का भाव हो जिसमें,
सृजन शक्ति की झलक मिले।
गफलत कोई रहे न मन में,
हर पाठक को सही दिशा मिले।।
ब्रह्मा जी की इस सृष्टि को,
शोभित हम नित करते जायें।
जग में अपने सद्कर्मों से,
प्यारा नाम कमाते जायें।
प्रथम प्राथमिकता हो कर्म को,
भाग्य भरोसे न बैठें हम।
देना सीखें देश की खातिर,
'मैं' से बाहर सोच रखें हम।
शपथ पूर्वक राष्ट्र समर्पित,
सदा देश की शान बनें हम।।