दीपों का यह पर्व निराला
दीपों का यह पर्व निराला
दीपों का यह पर्व निराला, सबके मन को भाये।
पावन भारत भू की महिमा, जय गुंजान कराये।
वरदान मिले हर घर घर को, जो लक्ष्मी वास कराये।
लीला प्रभु श्रीराम ने की, जब अवध लौटकर आये।
कालचक्र जब ऐसा घूमा, राम की जयजयकार हुई।
त्याग तपस्या श्रम के बल पर, सच्चाई की जीत हुई।
यौवन बाल वृद्ध शक्ति ने, असुरों को धूल चटाई।
हार हुई रावण की युद्ध में, प्रभु राम ने विजय दिलाई।।