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Devendra Kumar Sharma

Abstract

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Devendra Kumar Sharma

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होली का त्यौहार

होली का त्यौहार

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प्रेम के रंगों से सब रंग लें मन को जो एक बार।

समझो सार्थक हो जायेगा होली का त्यौहार।।

लगते रिश्ते नाते झूठे

यूं ही प्रेम के बन्धन टूटे।

तनिक भी प्रेम रहा नहीं मन में

ईर्ष्या अग्नि लगी है तन में।।

ईर्ष्या की अग्नि पर कर लो प्रेम रंग फुहार ।

समझो सार्थक हो जायेगा होली का त्यौहार।।


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