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Devendra Kumar Sharma

Abstract Action Inspirational

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Devendra Kumar Sharma

Abstract Action Inspirational

जय हो हिन्दी माँ

जय हो हिन्दी माँ

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हिम्मत सबको देनेवाली

न्यायप्रिय भी होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।


हिन्दी अपनी माँ है मित्रो

इसका मान बढायें।

इंग्लिश से मौसी का रिश्ता

प्यार से इसे निभायें।

जब भी मौसी जी घर आयें

स्वागत उनका करना है।

मगर सदा माँ को ही घर में

मुखिया हमें बनाना है।

सबके मन को भाये जो

सर्वप्रिया वो होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

हिम्मत सबको देनेवाली

न्यायप्रिय भी होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।


वन्दन संस्कृत नानी माँ को

अर्पित है तन मन से।

जन्म दात्री वही हैं सबकी

जहाँ का जन्म है जब से।

जहाँ में तीनों ही खुश हों

तभी ये बगिया महकेगी।

तीनों के पैरों की पायल

जहाँ में साथ खनकेगी।

छम छम छम छम बाजे जो

वो पैजनिया होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

हिम्मत सबको देनेवाली

न्यायप्रिय भी होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।


तभी जगत में अपना भारत

चहुँ ओर से चमकेगा।

त्रिभाषा का सूत्र जगत में

हर युग में सदा ही दमकेगा।

सबकी जुबां पे सहज ही आये

मातृभाषा होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

हिम्मत सबको देनेवाली

न्यायप्रिय भी होती है।

दीवाना कर जाये सबको

हिन्दी एसी होती है।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।

जय हो हिन्दी माँ, जय हो हिन्दी माँ।


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