कुंडलिया : "संविधान का मान"
कुंडलिया : "संविधान का मान"
उट्ठो जागो रुको नहीं, मतना जाणा चूक।
इब पाखंडी सोच पर, साधो लक्ष्य अचूक।
साधो लक्ष्य अचूक, भरम की पट्टी खोलो।
खुद पे कर विश्वास, ज्ञान की बोली बोलो।
कहै 'भारती' ईब, बढो थम लेकै आगो।
संविधान का मान, करणा इब उट्ठो जागो।
