मैं सृष्टि की जीवंतता की पहचान हूँ , मैं नदी नीर हूँ मुझे अब बर्बाद मत करो। मैं सृष्टि की जीवंतता की पहचान हूँ , मैं नदी नीर हूँ मुझे अब बर्बाद मत करो।
मेरे प्रयास तुम्हें बचाने के होते तुम मुझ पर दोष डाल चलते मेरे प्रयास तुम्हें बचाने के होते तुम मुझ पर दोष डाल चलते
कल शून्य थे और आज एक और एक ग्यारह हो गए थे। कल शून्य थे और आज एक और एक ग्यारह हो गए थे।
बस इससे खोने नहीं देना है.... वरना शायद हम भी कभी लुप्त हो जाएंगे। बस इससे खोने नहीं देना है.... वरना शायद हम भी कभी लुप्त हो जाएंगे।
दो रोटी को तरसती लेकिन जिंदगी को कैसी -कैसे जीती जिंदगी देखता हूँ दो रोटी को तरसती लेकिन जिंदगी को कैसी -कैसे जीती जिंदगी देखता हूँ
करो ना किसी को भी इतना जलील की बिगड़ जाए उसकी दिमागी तबीयत। करो ना किसी को भी इतना जलील की बिगड़ जाए उसकी दिमागी तबीयत।