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Phool Singh

Abstract Drama Action

4  

Phool Singh

Abstract Drama Action

राम राज

राम राज

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निर्मल जल और निर्मल मन है, न निर्मलता का कोई छोर है

मन को अपने स्वच्छ करो न, ये राम राज का दौर है।


न किसी से बैर किसी का, न विष में भीगे बोल है

प्रेमभाव की धारा बहे यहाँ, ये राम राज का दौर है।


ऊँच-नीच की बात कहीं न, हर शख़्स अनमोल है

द्वेषभाव भी रहे न मन में, ये राम राज का दौर है।


कर्मठ हो हर वीर यहाँ का, न हृदय में किसी के चोर है

चरित्रहीनता नहीं तनिक भी, ये राम राज का दौर है।


अहं, घमंड की बात कहीं न, मित्रता भाव चहूँ ओर है

स्वतन्त्रता से हर प्राणी जीता, ये राम राज का दौर है।


त्याग, समर्पण के भाव दिलों में, न कृपणता का झोल है

हँसी-खुशी सब मिलकर रहते, ये राम राज का दौर है।


हर नारी है सीता जैसी, जहां योग, तपोबल का मोल है

बड़ों का होता सम्मान दिलों में, ये राम राज का दौर है।


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