कुंडलिया
कुंडलिया
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जन सेवा की भावना, रहे दिलों के बीच।
कर्मयोगी बने वही, कभी करे ना टीच।
कभी करे ना टीच, मदद का भाव जगाए।
आत्मबल से युक्त, हो सम्मान भी पाए।
कर्तव्य हो कमजोर, मिले ना कोई मेवा।
जाग्रित होकर खूब, करो मिलकर जन सेवा।