महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
सुनो सुना दूं आज मैं तुमको,
महाराणा की कहानी।
सूखी रोटी खाई घास की,
नहीं झुका हिंदुस्तानी।
दर-दर की वो ठोकर खाया,
खाक जाए जंगल छानी।
रोटी की तुम बात ही छोड़ो,
नहीं मिला पीने पानी।
मुगल वीरों को धूल चटाई,
चिंता उनके पेशानी।
काबू नहीं वीर वो आया,
बादशाह था हैरानी।
चौड़ी छाती भाला भारी,
चेतक उसका अभिमानी।
छक्के छुड़ाए दुश्मन के वो,
कोई नहीं उसका सानी।
मातृभूमि का मान बढ़ाया,
बड़ा वीर स्वाभिमानी।
शत-शत नमन करूं मैं उनको,
कौन जगत न उन जानी।
