Sunil Gupta teacher
Children
पापा-पापा,
घड़ी ले आना,
हमको घड़ी
पहनना है।
घड़ी देखकर,
खेलेंगे हम,
पढ़ना है।।
सैनिक का महत्...
मातृभूमि प्रे...
बाल कविता ...
बाल कविता
देश की खातिर वह कभी अपने जान की परवाह कहां करता है देश की खातिर वह कभी अपने जान की परवाह कहां करता है
ऐसा नहीं है कि मां मेरे ऐसा करने से रूठती नहीं। कभी-कभी गुस्से की उसकी डांट भी खा लिया ऐसा नहीं है कि मां मेरे ऐसा करने से रूठती नहीं। कभी-कभी गुस्से की उसकी डांट भ...
वो मेरी हिम्मत की डोर है, तभी तो मैं विश्वास से गगन में पतंग की तरह उड़ पाती हूं। वो मेरी हिम्मत की डोर है, तभी तो मैं विश्वास से गगन में पतंग की तरह उड़ पाती हूं...
तुम्हारी आंखों की चमक, मेरे दिल में उजाला करती है, तुम्हारी आंखों की चमक, मेरे दिल में उजाला करती है,
ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में. ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में.
तेरे हर भाव को सहकर मैं दिल ही दिल में रोता हूँ। तू मुझ में यूँ समाया है की खुद क तेरे हर भाव को सहकर मैं दिल ही दिल में रोता हूँ। तू मुझ में यूँ समाया है...
घर आंगन, घेर बड़े बड़े, परिवार बड़े थे, दिल भी, आज परिवार है छोटा, फिर भी दिल बड़ा है क घर आंगन, घेर बड़े बड़े, परिवार बड़े थे, दिल भी, आज परिवार है छोटा, फिर भी...
परिचय पाकर उन दोनों का पल में बालक हुआ मगन परिचय पाकर उन दोनों का पल में बालक हुआ मगन
माँ की ममता कभी कम होती नहीं गहरे समुंदर की तर माँ की ममता कभी कम होती नहीं गहरे समुंदर की तर
बालक अगर हिंदी बोले तो उस पर फाइन लगाते हैं, और फिर भी गर्व से हिंदी दिवस मनाते हैं, बालक अगर हिंदी बोले तो उस पर फाइन लगाते हैं, और फिर भी गर्व से हिंदी दिवस मना...
पकड़े जाने पर, मम्मी की पड़ती डांट ज़ोरदार, साथ में फ्री के मिलते थे पकड़े जाने पर, मम्मी की पड़ती डांट ज़ोरदार, साथ में फ्री के...
अब यह कैसा मंजर दिखलाया, छाया विश्व में कोविड का सायाI अब यह कैसा मंजर दिखलाया, छाया विश्व में कोविड का सायाI
याद बहुत आ रहे है आज वो दिन जब तू मुझे एक एक रुपए के लिए रुलाती थी याद बहुत आ रहे है आज वो दिन जब तू मुझे एक एक रुपए के लिए रुलाती थी
कहाँ गया गुरु चरण छूने का भाव कहाँ गया वो गुरु के प्रति मान सम्मान श्रद्धा का भाव कहाँ गया गुरु चरण छूने का भाव कहाँ गया वो गुरु के प्रति मान सम्मान श्रद्धा का...
दुनिया भर का प्यार, दुलार, वात्सल्य ये अपने साथ लाई है दुनिया भर का प्यार, दुलार, वात्सल्य ये अपने साथ लाई है
खुल कर जीते थे जीवन अक्सर याद आता है बचपन। खुल कर जीते थे जीवन अक्सर याद आता है बचपन।
भटक कर ज़िन्दगी की हर सड़क नाप डाली है चिलचिलाती धूप हो या बरसात की बौछारें भटक कर ज़िन्दगी की हर सड़क नाप डाली है चिलचिलाती धूप हो या बरसात की बौछारें
मां पहली शिक्षक ,परिवार है कड़ी, दूसरी तत्पश्चात विद्यालय का शिक्षक देता, ज्ञान। मां पहली शिक्षक ,परिवार है कड़ी, दूसरी तत्पश्चात विद्यालय का शिक्षक देता, ज्...
जादू वाली बात ना करो ना दिखाओ जादुई नखरे। जादू वाली बात ना करो ना दिखाओ जादुई नखरे।
बचपन न रहा तब सुखकर जब आया सन् पचहत्तर, क्रूरता की सीमा पार बचपन न रहा तब सुखकर जब आया सन् पचहत्तर, क्रूरता की सीमा पार