जुनून
जुनून
रगो में खून बनकर तेरे, यूं “जुनून” बहता है
बिना मंज़िल के ना रुकना, ये सुकून कहता है
हुआ क्या राहों में तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है
चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है
है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझको कहती है
चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है
तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना
पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना
पहाड़ों में सुराख कर दे, ये हिम्मत बस तुझी में है
सीना चीर दे अंबर का, जुनूं जो है तो मुमकिन है
काम ऐसा जहाँ में क्या जो तुझसे हो नहीं पाएगा
फैसला तू अगर कर ले, तो हर मंज़िल को पाएगा
सफर को बीच में छोड़े, नहीं फितरत है ये तेरी
“ज़रूरत” तेरी मंज़िल है, नहीं है “आरज़ू” तेरी
जो चाहेगा तू पाएगा बस ये हौसला रख ले
जीतेगा तू ही एक दिन, अगर तू हार को चख ले