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Meena Singh "Meen"

Romance

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Meena Singh "Meen"

Romance

कतरा-कतरा पिघलती शाम

कतरा-कतरा पिघलती शाम

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अक्सर उसकी हसीन बातों और चाय के संग,

खूबसूरत और सुरमई-सी गुजरती है मेरी शाम।

दिलकश एहसासों और बेतुकी सी बातें लिए,

खुशनुमा और कतरा-कतरा पिघलती है मेरी शाम।

ख्वाहिश कुछ यूँ बढ़ती ही जा रही है हर दिन,

कुछ भी सोचूँ हर ख्याल अधूरा लगता है तुम बिन,

क्या कहूँ सुबह से ज्यादा भाने लगी है मेरी शाम,

ज़िन्दगी से इक लम्हा रोज चुराने लगी है मेरी शाम।

तेरी बेलौस मोहब्बत पाकर यकीन होता है मुझे,

ज़िन्दगी सच में खूबसूरत है तुम संग ऐ हमसफर,

अब तो बस यही दुआ है खुदा से हम मिलते रहें,

और बाँटते रहें यूँ ही मोहब्बत के ये किस्से तमाम।

भागती-दौड़ती इस सुबह और थकान भरी रातों से,

बेहद जरूरी तुम्हारी सेहर-सी बातों संग मेरी शाम,

ज़िन्दगी हर दिन, हर लम्हा पिघलती जा रही है,

सुकून है तुम संग रोज मिलती है मुझे मेरी शाम।



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