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Sukant Suman

Abstract Action

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Sukant Suman

Abstract Action

कशमकश की बस्ती।

कशमकश की बस्ती।

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वो गाँव से आया है, शज़र ढूंढता है,

कशमकश की बस्ती में, सुकून ढूंढता है ।


लोगों ने चुन ली है रोजगार अपना,

वो नादां अब भी सरकारी नौकरी ढूंढता है।


होते जा रहे हैं लोग अब मतलबी,

वो कमबख़्त अब भी सच्चा-प्यार ढूंढता है। 


लूटा चुका है सारा दौलत अपना,

पर वो अब भी अख्त़़ियार ढूंढता है। 


मुक़ाबिल से भरी पड़ी है दुनिया,

वो अब भी उसमें रहनुमा ढूंढता है।।



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