कशमकश की बस्ती।
कशमकश की बस्ती।
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वो गाँव से आया है, शज़र ढूंढता है,
कशमकश की बस्ती में, सुकून ढूंढता है ।
लोगों ने चुन ली है रोजगार अपना,
वो नादां अब भी सरकारी नौकरी ढूंढता है।
होते जा रहे हैं लोग अब मतलबी,
वो कमबख़्त अब भी सच्चा-प्यार ढूंढता है।
लूटा चुका है सारा दौलत अपना,
पर वो अब भी अख्त़़ियार ढूंढता है।
मुक़ाबिल से भरी पड़ी है दुनिया,
वो अब भी उसमें रहनुमा ढूंढता है।।