होते जा रहे हैं लोग अब मतलबी, वो कमबख़्त अब भी सच्चा-प्यार ढूंढता है। होते जा रहे हैं लोग अब मतलबी, वो कमबख़्त अब भी सच्चा-प्यार ढूंढता है।
जो बहाता यहां कर्म रक्त है वो खिला रहता हर वक्त है जो बहाता यहां कर्म रक्त है वो खिला रहता हर वक्त है