एक हरा तो दूजा नीला हर चेहरे पर है खिला खिला एक हरा तो दूजा नीला हर चेहरे पर है खिला खिला
है जहां क़ीमत लिपि कि, कलम को वही गोदना है... है जहां क़ीमत लिपि कि, कलम को वही गोदना है...
जो बहाता यहां कर्म रक्त है वो खिला रहता हर वक्त है जो बहाता यहां कर्म रक्त है वो खिला रहता हर वक्त है