वक़्त
वक़्त
हर जख़्म की दवा ये वक्त है
सबको लगता ये कमबख्त है
जिसने ये वक्त संवार लिया है
इस जीवन को सुधार लिया है
जो भी कर्म करता हर वक्त है
शूलों में बनता वो फूल फक्त है
हर ज़ख्म की दवा ये वक्त है
वक्त सिखाता हर पाठ सख्त है
जो बहाता यहां कर्म रक्त है
वो खिला रहता हर वक्त है
दुःख उसे विचलित न करता,
जो वक्त का सींचता दरख़्त है
हर जख़्म की दवा ये वक्त है
वक्त देता दवा बहुत उन्नत है
दुनिया में वक्त ही बनाता है,
वक्त ही बिगाड़ता हर संबंध है
जिंदगी में मिलेगी हर सफलता,
वक्त से चलता रह तू कमबख़्त है
हर जख़्म की दवा ये वक्त है
घाव भरता चाहे घाव सख्त है
समय के अनुसार चल साखी,
फिर मरु में खिलेंगे फूल-पाती,
उनकी जिंदगी बनती जन्नत है
जो करते वक्त की इज्जत है