सिपाही का घर
सिपाही का घर
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दरवाजे के उस पार
खड़ा डाकिया न जाने
कब कौन-सा शुभ-अशुभ
समाचार ले आए।
बस इसी उधेड़बुन में
बीतता है उस माँ, बहन,पत्नी
का जीवन।।
जिसका आखों का तारा
खाती है गोलियां फिर भी
हँसते हुए करते हैं
गुणगान जय हिंद का।