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AKIB JAVED

Abstract Romance Action

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AKIB JAVED

Abstract Romance Action

ग़ज़ल- डोर से फासला नहीं होता

ग़ज़ल- डोर से फासला नहीं होता

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वो सफ़र में मिला नहीं होता।

दर्द  मेरा हरा नहीं होता।


ज़िंदगी की पतंग भी उड़ती।

डोर से फ़ासला नहीं होता।


दूर नज़रों से मेरा हमसफ़र हैं।

काश मुझसे ख़फ़ा नहीं होता।


आसमां में ग़र आशियाँ भी हो।

इस जहाँ का पता नहीं होता।


लब पे आकिब' न नाम लाता ये।

तज़किरा भी तेरा नहीं होता।



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