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Amit Kumar Pandey

Inspirational

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Amit Kumar Pandey

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मेरी अंतरात्मा

मेरी अंतरात्मा

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ख़्वाब मैने भी देखे थे, जो मुक्कमल ना हुए ।

मेरे पैरों के छालों को देखो, जो कभी कम ना हुए ।।

मेरे सफ़र में बहुत दुश्वारी है ।

पर मेरा हौसला इन सब पे भारी है  ।।


मैं वो नहीं जो मुश्किलों से डर जाऊँ।

हारने के डर चलना छोड़ दूँ या घर में छुप जाऊँ ।।

हर रोज़ मेरी जीत से जंग जारी है ।

एक मंज़िल ना मिली तो क्या हुआ, दूसरे की तैयारी है ।।


न मंज़िल की तलाश कभी बंद होगी ।

न जीतने का जज़्बा कभी कम होगा ।।

जिस दिन ज़िंदगी रुख्सत होगी ।

उसी दिन ये सफ़र ख़त्म होगा ।।



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