अंधी ताकत
अंधी ताकत
आज फिर इंसानियत पर,
शैतान की जीत हो गई
लालच के कारण आज फिर,
एक मासूम की जान गई
माता-पिता को आंसू देकर,
एक और जवान बेटी गई
बिलखते बच्चों को छोड़
आज एक माँ चली गई
मातम का माहौल है गली में
हर आंख फिर से नम हुई
किसी ने क्या बिगाड़ा था उनका
जिनका एक और शिकार हुई
महज शक्ति दिखाने की खातिर,
या अपना साम्राज्य विस्तार करना है
बेमोल जानों की बली देकर
ये कौनसी तुम्हे ताकत प्राप्त हुई
आपदा को अवसर बनाने में
लोगों ने कोई कसर ना की
जिससे जितना लूटा गया
उसने उतनी जेब भर ली
दवाओं में दगाबाजी हुई
सेवाओं में चालबाजी हुई
तिजोरी में माल भरने की
सबको कितनी बेशर्मी हुई
वीरान करके जहां को तुम
किसपर हुकूमत चलाओगे ?
बेशुमार दौलत जमा करके
बोलो कहाँ पर इसे उड़ाओगे ?
किस हद तक गिरोगे तुम
क्या ये हमें आज बताओगे ?
भ्रम है ये ऐशो-आराम तुम्हारे
बद्दुआओं का भार कैसे उठाओगे ?