क्या घर की लाडली स्कूल भी न जाये, क्या तेरी बेटी भी यूँ ही शिकार हो जाये। क्या घर की लाडली स्कूल भी न जाये, क्या तेरी बेटी भी यूँ ही शिकार हो जाये।
लेकिन सुकून होगा कि यहाँ तूने देना क्या चाहा पर मैंने यहाँ तेरी नहीं चलने दी और अपनी मर्ज़ी का चुना... लेकिन सुकून होगा कि यहाँ तूने देना क्या चाहा पर मैंने यहाँ तेरी नहीं चलने दी और...
जो ना सामने वाले को परेशान करे। ना तुम को शर्मसार करे। जो ना सामने वाले को परेशान करे। ना तुम को शर्मसार करे।
खताएं गिनाईं नहीं जाती कुछ रिश्तों में निभाना है जिन्हें रिवायत से बने उसूलों से! खताएं गिनाईं नहीं जाती कुछ रिश्तों में निभाना है जिन्हें रिवायत से बने उसूलों...
आज फिर इक मासूमियत तड़प गयी, आज फिर वो हैवानियत हो गयी...! आज फिर इक मासूमियत तड़प गयी, आज फिर वो हैवानियत हो गयी...!
ये तो वे सब सपने हैं बंद रह कर भी पूरी होते रही बारी-बारी। ये तो वे सब सपने हैं बंद रह कर भी पूरी होते रही बारी-बारी।