सरकार इस तरह सियासत में मस्त हैं की लोगों की आह उन तक पहुँचती ही नहीं सरकार इस तरह सियासत में मस्त हैं की लोगों की आह उन तक पहुँचती ही नहीं
बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक! बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक!
चलो ये दोहरा चरित्र मिटाये किसी मुफ़लिस को गले लगाएं। चलो ये दोहरा चरित्र मिटाये किसी मुफ़लिस को गले लगाएं।
चर्चा ये आजकल शरेआम है, भ्रष्टाचार की बीमारी खुलेआम है। चर्चा ये आजकल शरेआम है, भ्रष्टाचार की बीमारी खुलेआम है।
चाहत का न कोई छोर था, ज़फाओं से ही उनका नाता था, चाहत का न कोई छोर था, ज़फाओं से ही उनका नाता था,
नजरें इनायत तेरी जिस पर भी पड़ जाये फिर हो जाता है जहां में वो मालामाल, मैं तेरी रजा में राजी रह... नजरें इनायत तेरी जिस पर भी पड़ जाये फिर हो जाता है जहां में वो मालामाल, मैं ...