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Aanart Jha

Others

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Aanart Jha

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मुफलिसी में खुश रहने दो

मुफलिसी में खुश रहने दो

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यह महंगे कपड़े, महंगी गाड़ी मेरी औकात बताएंगे क्या

बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक


जिनका मर गया हो जमीर पैसों की खातिर

वह क्या कभी अपने जनाजे से लौटकर आएंगे


और यह कौन लोग हैं जो मेरी पहचान बताते हैं मुझको 

क्या कभी खुद से खुद की पहचान पूछ कर आएंगे


और गर इंसान हूं मैं तो इंसान ही रहने दो

तुम खुश रहो अपनी जिंदगी में  


मुझे मेरी मुफलिसी में खुश रहने दो!


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