जीने को और क्या चाहिए सर पे छत है थाली में रोटी है! जीने को और क्या चाहिए सर पे छत है थाली में रोटी है!
बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक! बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक!
घर का काम करके पैरों को दुखा लेती है माँ, माँ को कभी मैंने थकते हुए नहीं देखा। सबकी ख़ुशी में ही ह... घर का काम करके पैरों को दुखा लेती है माँ, माँ को कभी मैंने थकते हुए नहीं देखा। ...
बनने की कोशिश में, कल्पवृक्ष अपने बच्चों का, करता रहता अपने को स्वाहा, पहना कर नए कपडे बच्चों को, खु... बनने की कोशिश में, कल्पवृक्ष अपने बच्चों का, करता रहता अपने को स्वाहा, पहना कर न...
लोग जब माँ बीमार होती है तब आगे पीछे घूम कर उन्हें दवाई खाने के लिए डांटते तक हैं लेकिन उसी माँ के र... लोग जब माँ बीमार होती है तब आगे पीछे घूम कर उन्हें दवाई खाने के लिए डांटते तक है...
सिलवटों से भरी चादर पे निढाल सी तू पडी है आंखों में तेरी बुखार में तपने का अपराधबोध साफ़ नजर आता है ... सिलवटों से भरी चादर पे निढाल सी तू पडी है आंखों में तेरी बुखार में तपने का अपराध...