माँ
माँ
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माँ को कभी मैंने खुद के लिए जीते नहीं देखा
सबको खिला के खुश होती है माँ,
माँ को कभी मैंने पहले खाना खाते नहीं देखा।
खुद जग के हमको सुला देती है माँ,
माँ को कभी मैंने सुकून से सोता हुआ नहीं देखा।
बच्चो का करियर बना देती है माँ,
माँ को कभी मैंने खुद का करियर बनाते हुए नहीं देखा।
परिवार के लिए पैसा इकठ्ठा कर लेती है माँ,
माँ को कभी मैंने खुद के लिए पैसा बचाते हुए नहीं देखा।
सबके कपडे पहले धो लेती है माँ,
माँ के कपड़ो को कभी मैंने पहले धुलता हुआ नहीं देखा।
जरुरत होती है उसे भी बहुत सी नयी चीज़ों की,
माँ को कभी मैंने खुद पे खर्चते हुए नहीं देखा।
घर का काम करके पैरों को दुखा लेती है माँ,
माँ को कभी मैंने थकते हुए नहीं देखा।
सबकी ख़ुशी में ही हमेशा खुद की ख़ुशी ढूंढ लेती है माँ,
माँ को कभी मैंने खुद के लिए जीते नहीं देखा।
