मिट्टी की महक और झाड़ियाँ लहराई, मारवाड़ की धरती में सुहानी ठंडी है छाई । मिट्टी की महक और झाड़ियाँ लहराई, मारवाड़ की धरती में सुहानी ठंडी है छाई ।
अपना तो बस रजाई में ही सिकुड़ने का जी चाहता है। अपना तो बस रजाई में ही सिकुड़ने का जी चाहता है।
बच्चे बोलें ओढ़ रजाई ठण्डी आई ठण्डी आई । बच्चे बोलें ओढ़ रजाई ठण्डी आई ठण्डी आई ।
बाहर खेलने को हम तरसे बताओ कब तक जाओगी तुम। बाहर खेलने को हम तरसे बताओ कब तक जाओगी तुम।
उसके इंतजार में, ओढ़ कर रजाई तुम भी अब सो जाओ, गहरे सपनों में, खो जाओ। उसके इंतजार में, ओढ़ कर रजाई तुम भी अब सो जाओ, गहरे सपनों में, खो जाओ।
लगदे फिर भी थोड़े सेदिन लगदे छोटे ते रातां वे लम्बी लम्बी लगदे फिर भी थोड़े सेदिन लगदे छोटे ते रातां वे लम्बी लम्बी