भ्रष्टाचार की बीमारी
भ्रष्टाचार की बीमारी
चर्चा ये आजकल शरेआम है,
भ्रष्टाचार की बीमारी खुलेआम है।
गरीबी और मुफलिसी का आलम ,
रिश्वत लेना ,बन गया फ़ैशन ।
कहीं जमाखोरी ,कहीं मिलावट,
नैतिक मूल्यों में आई गिरावट ।
हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला,
जगह जगह हो रहा घोटाला ।
नेता हो या, हो अधिकारी ,
देश लूट रहे,मूल्यों के व्यापारी ।
सत्ताधीश हैं सत्ता में मस्त ,
हर ओर जनता है त्रस्त ।
रक्त चूसक ,दानव अत्याचारी,
मातृभूमि से ,कर रहे गद्दारी ।
भ्रष्टाचार से मुश्किल जीना ,
लूट खसोट कर पीते, मेहनत का पसीना ।
निवाला छीनते ,ये धनवान भिखारी,
समझे न ये ,किसी की लाचारी ।
हर काम का एक ही किस्सा ,
मिल बांट के लेते, अपना हिस्सा ।
यूँ बेच दिया अपना धर्म-ईमान है,
कि देश की इज़्ज़त यूँ नीलाम है ।
चर्चा ये आजकल शरेआम है,
भ्रष्टाचार की बीमारी खुलेआम है।।
