STORYMIRROR

Sonam Kewat

Inspirational Tragedy

4.7  

Sonam Kewat

Inspirational Tragedy

मेरे अंदर का डर

मेरे अंदर का डर

1 min
775


रात के अंधेरे में एक पीपल का पेड़ खड़ा था,

मैं अंधेरे में एक सुनसान रास्ते पर पड़ा था।

अकेले था मैं और चारों तरफ सन्नाटा था,

रह रहकर रहस्यमयी आवाज आती थी।


एक घंटे की आवाज मेरे कान को दी सुनाई,

शायद ये उसी पीपल के पेड़ से आई।

सुना था इस पीपल में कोई रुह है,

मारती है लोगों को बहुत ही क्रुर है।


तेज हवा चली और तूफानी माहौल बना,

एक सफेद दुपट्टा मेरे ऊपर आ गिरा।

लगा मुझे जैसे मेरी मौत आई है,

दुपट्टे में कोई चुड़ैल समाई है।


अब धीरे-धीरे मेरा दम घुटने लगा,

डर की वजह से पसीना छूटने लगा।

चल नहीं सका जैसे किसी ने पैर पकड़ा,

रात भर मैं अकेले वहीं रहा जकड़ा।


सुना था कहानियों में, वैसी हँसी दी सुनाई,

मारी वो चुड़ैल मुझे मेरे गले को दबाई।

सुबह हुई तो लोग वहाँ इकट्ठा हुए,

मेरे बारे में कुछ चर्चा किए।


मर गया था पर आत्मा मेरी वहीं थी

मौत मेरे भूत की कहानी नहीं थी।

पीपल का पेड़ तो पहले से ही कटा था,

सफेद दुपट्टा किसी का तूफान से उड़ा था।


भूत तो बस झूठा अफसाना है

अब समझा कहानी सब एक फसाना है।

ना पेड़ और ना ही रुह ने ये कहर ढाहा,

मुझे तो मेरे अंदर के डर ने मार डाला।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational