खुदा की इनायत
खुदा की इनायत
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जवाल को उरूज कर दे उरूज को जवाल
ये तेरा ही कमाल खुदा तेरा ही कमाल,
मुफलिसी में रह कर भी कोई शाद है
और कोई महलों में रह कर भी बेहाल,
जर्रा-जर्रा कायनात का गुलाम तेरा
नाफरमानी करे तेरी है किस की मजाल,
निकल पाता नहीं इन्सां तेरे इस कफस से
ये तू ही जाने कैसा बनाया मायाजाल,
नजरें इनायत तेरी जिस पर भी पड़ जाये
फिर हो जाता है जहां में वो मालामाल,
मैं तेरी रजा में राजी रहता हूं खुदा
क्यों करे भला इस का कुछ भी मलाल...
