सोचो और समझो
सोचो और समझो
ये मुसीबत की घड़ी है,
इसे मिलकर निभाओ,
थोड़ा हम मुस्कुरायें,
थोड़ा तुम मुस्कुराओ,
हम यूं चाहते हैं,
की तुम सब भी गाओ,
सूर्य निकलेगा कल भी,
ना तुम घबराओ,
माना निवर्त हैं हम,
पर ना तुम ये समझो,
निजात पर यारों,
ना तूम यूं झगड़ों,
आज जात धर्म वेद पुराण,
गुण सभी ध्वस्त हैं,
शान,ध्यान, ज्ञान हीन,,
कुष्ठ प्राणी मस्त है,
कर कुछ दिखाओ,
सुनो अब आगे आओ,
ये मुसीबत की घड़ी है,
इसे मिलकर निभाओ,
थोड़ा हम मुस्कुरायें,
थोड़ा तुम मुस्कुराओ,
थोड़ा हम मुस्कुरायें,
थोड़ा तुम मुस्कुराओ,,,,,,