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Hemant Kumar Saxena

Others

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Hemant Kumar Saxena

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वक्त गुजर गया यूं ही

वक्त गुजर गया यूं ही

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वक्त गुजर गया यूं ही न जाने कब शाम हो गयी,

न आयी समय पर काम ज़ुबां बेनाम हो गयी ,,


अंधेरे वाली रात बता तू क्यूं बदनाम हो गयी,

नम् आंखें थीं सबकी विदा सरेआम हो गयी,,


पीठ भारी भी लगती थी बोझ सब थाम जाते थे,

घड़ी पर काम आते थे जो थक कर शाम आते थे,,


न बिगड़ता था कोई काम न अरमां चूर होते थे,

नज़र से टूट जाते थे जो दुश्मन ए क्रूर होते थे,,


पसरा क्यूं अंधेरा है क्यूं बिजली जाम हो गयी,

न आयी समय पर काम ज़ुबां बेनाम हो गयी,,


वक्त गुजर गया यूंही न जाने कब शाम हो गयी,

न आयी समय पर काम ज़ुबां बेनाम हो गयी,,


तमन्ना मन में थी उनके हमें काबिल बनाने की,

एक ख्वाहिश भी थी उनकी कहीं पर दूर जाने की,,


कहते थे कि बच्चो तुम्हें तट-तट संभलना है,

न जाने कब, कहां, कैसे, यूं मुझको बिखरना है,,


पंछी क्यूं नहीं दिखता कद्र नाकाम हो गयी,

न आयी समय पर काम ज़ुबां बेनाम हो गयी,,


वक्त गुजर गया यूंही न जाने कब शाम हो गयी,

न आयी समय पर काम ज़ुबां बेनाम हो गयी!,



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