पापा के बिन
पापा के बिन
मुझे आभास हुआ हैआज महसूस किया है
पापा के बिन दुनिया कैसी पापा के बिन खुशियां कैसी
है आबादी काली काली जैसे सूखी पेड़ों की डाली
लगें फूल सब मुरझाए से अब पानी नहीं देता माली
जब था साया आपका हम परसूरज किरणें थीं मतवाली
अब सूरज वो दिखता क्यूं नहीं बादल नें जैसे चादर डाली
मुझे आभास हुआ है आज महसूस किया है
पापा के बिन दुनिया कैसी पापा के बिन खुशियां कैसी
अरमान सभी तदस्त्र हुए हैं टुकड़े टुकड़े बस्त्र हुए हैं
छूटे सभी वो शस्त्र हुए हैं लगता हम निर्वस्त्र हुए हैं
खिलौनों वाली जिद सब छूटीं याद में आपकी पस्त हुए हैं
जो समझाया वो हम सीखें वादे सभी कण्ठस्त हुए हैं
मुझे आभास हुआ हैआज महसूस किया है
पापा के बिन दुनिया कैसी पापा के बिन खुशियां कैसी।
