ऐ जिन्दगी तुझसे .......क्या गिला करूं, उलझनों में उलझी है क्या अदा करूं। ऐ जिन्दगी तुझसे .......क्या गिला करूं, उलझनों में उलझी है क्या अदा करूं।
भटकते थे सेहरा में कल तक मगर अब तेरे छोड़े हुए कुछ मकां मिल गये हैं भटकते थे सेहरा में कल तक मगर अब तेरे छोड़े हुए कुछ मकां मिल गये हैं
नजरें इनायत तेरी जिस पर भी पड़ जाये फिर हो जाता है जहां में वो मालामाल, मैं तेरी रजा में राजी रह... नजरें इनायत तेरी जिस पर भी पड़ जाये फिर हो जाता है जहां में वो मालामाल, मैं ...
क़फ़स में बंद पंछी को उड़ाना भी ज़रूरी है। कि घुटती ज़िन्दगी में सांस आना भी ज़रूरी क़फ़स में बंद पंछी को उड़ाना भी ज़रूरी है। कि घुटती ज़िन्दगी में सांस आना भी ...