निशां
निशां
हमें रास्तों की ज़रूरत नहीं अब
हवाओं पे तेरे निशां मिल गये हैं
भटकते थे सेहरा में कल तक मगर अब
तेरे छोड़े हुए कुछ मकां मिल गये हैं
परिंदे हैं, उड़ते हैं रहते फ़िजा में
कि उड़ते हुए कहकशाँ मिल गये हैं
कफस में था कब से तसव्वुर में तेरे
बयाबां में अब बागबान मिल गये हैं
हमें रास्तों की ज़रूरत नहीं अब
हवाओं पे तेरे निशां मिल गये हैं ।
