भटकते थे सेहरा में कल तक मगर अब तेरे छोड़े हुए कुछ मकां मिल गये हैं भटकते थे सेहरा में कल तक मगर अब तेरे छोड़े हुए कुछ मकां मिल गये हैं
आरजू है की रुपये पैसे को ज्यादा अहमियत न दे शरीर हमारा एक मशीन की जानिब न हो जाये। आरजू है की हम... आरजू है की रुपये पैसे को ज्यादा अहमियत न दे शरीर हमारा एक मशीन की जानिब न हो जा...