ये ही आरजू है
ये ही आरजू है
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आरजू है की सदैव हँसता खिलखिलाता रहूं
मेरी खुशी मतलबहीन प्रतियोगिताएँ न बांट ले।
आरजू है मेरे बचपन की अवधि कम न हो
ये दुनिया कंप्यूटर की मेरा बचपन लूट न लें।
आरजू है की हर संबंध फेसबुक व्हाट्सएप्प तक न रहे
वक्त की कमी से हमारा हर रिश्ता न ओझल हो जाये।
आरजू है की हर बागबान दुनिया में लहलहाता रहे
ये प्रदूषण की आंधी उसकी महक व रूप न लूट ले।
आरजू है की रुपये पैसे को ज्यादा अहमियत न दे
शरीर हमारा एक मशीन की जानिब न हो जाये।
आरजू है की हम पाश्चात्य विचारों से दूर रहें
बस अपने संस्कार और भारतीयता न कभी भूले।
