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Mukesh Bissa

Others

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Mukesh Bissa

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ये ही आरजू है

ये ही आरजू है

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आरजू है की सदैव हँसता खिलखिलाता रहूं

मेरी खुशी मतलबहीन प्रतियोगिताएँ न बांट ले।


आरजू है मेरे बचपन की अवधि कम न हो

ये दुनिया कंप्यूटर की मेरा बचपन लूट न लें।


आरजू है की हर संबंध फेसबुक व्हाट्सएप्प तक न रहे

वक्त की कमी से हमारा हर रिश्ता न ओझल हो जाये।


आरजू है की हर बागबान दुनिया में लहलहाता रहे

ये प्रदूषण की आंधी उसकी महक व रूप न लूट ले।


आरजू है की रुपये पैसे को ज्यादा अहमियत न दे

शरीर हमारा एक मशीन की जानिब न हो जाये।


आरजू है की हम पाश्चात्य विचारों से दूर रहें

बस अपने संस्कार और भारतीयता न कभी भूले।


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