भ्रम
भ्रम
हज़ारों ख़वाहिशें ऐसी उनकी, हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
ख़्वाहिश पूरी करें किसकी, लेकिन वो तो इक भ्रम निकले।
चाहत का न कोई छोर था, ज़फाओं से ही उनका नाता था,
वफ़ा निभाने चले थे, उनसे, जो पहले से ही बेवफ़ा निकले।
समय समय का खेल था, हमारी तकदीर का ही दोष था,
हम पे मुफ़लिसी का दौर आया, वो हाथ छोड़ चल निकले।
एतबार नहीं था उनकाे, या सवाल हमारी जागीरों का था,
ताउम्र साथ निभा न सके, राह में साथ छोड़ चल निकले।