कैसे उनको पाऊँ
कैसे उनको पाऊँ
अलि, कैसे उनको पाऊँ,
कैसे खुद को समझाऊँ,
दूर बहुत है प्रियतम प्यारे,
मैं इस छोर वो उस किनारे,
कैसे उनको पाऊँ,
कैसे खुद को समझाऊँ,
कभी रिझाये, वो कभी मुस्काये,
मैं मुस्कान पर ही वारी जाऊँ,
मैं कैसे उनको पाऊँ,
पुष्प में भी वो मुस्काये,
कलियों में जो खिलखिलाए,
मैं तो बस खोती जाऊँ,
प्रियतम, तुझे अंतस में पाऊँ,
प्रेम दीवानी, मैं तो बस तेरा ही गीत गाऊँ,
कभी मुसकाऊँ, कभी नीर बहाऊँ,
कण कण में तुझे पाती जाऊँ,
अलि, मैं तो तुझमें भी उनको ही पाऊँ,
क्यों जाऊँ, फिर कहाँ मैं जाऊँ,
जब हर पल ही उनको पाऊँ,
अंश प्रियतम का, मैं जन जन में ही पाऊँ,
पा कर मन मंदिर में,
बस मन ही मन हर्षाऊँ,
प्रियतम, मैं बस तुझको पाऊँ,
जीत देखूँ, बस तुझको पाऊँ,
अलि, अब कहाँ मैं खोजन जाऊँ।।

