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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

ज़िस्मानी सुगंध

ज़िस्मानी सुगंध

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मेरे ज़िस्म की सुगंध पाकर,

वो दौड़ा - दौड़ा चला आया,

जब बाहों में भर के मुझे चूमा,

तब सारे जहां का नशा छाया।


मैं लिपट गई उससे ऐसे,

जैसे जन्मों से थी कैद कहीं,

मेरी धड़कनों की धड़क को सुन,

उसकी धड़कनों में भी धमक आया।


कुछ देर दोनो खामोश रहे,

अपने दिलों के सपनों में कैद रहे,

फिर सुगंध की महक को सूँघ,

ज़िस्मानी हरकतों से मज़ा आया।


वासनायें जब दहक गईं,

शर्म ~ओ~ हया भी तब दीवानी हुई,

उसकी चरमसीमा को पाकर,

मैंने अपनी दहलीज को भी लंघा पाया।


ये ज़िस्मानी सुगंध भी बेमानी है,

इसकी एक अजब कहानी है,

हम दोनों में इस सुगंध से,

सारी कायनात का सुरूर ~ए ~गुरूर आया।


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