करते थे (ग़ज़ल)
करते थे (ग़ज़ल)
पहले तेरे भले की दुआ करते थे
फिर कहीं दिन वो चालू हुआ करते थे
रोज़ सोने की जल्दी लगी होती थी
रात खाबों में तुमसे मिला करते थे
बात होती थी दो चार तुम से कभी
सारे दिन आसमां में रहा करते थे
देखता था वो छिप छिप के जब भी तुम्हें
सूर्य की भांति हम तो जला करते थे
ज़ुल्फ लब और आंखें सभी खूब थे
हम मगर सादगी पे मरा करते थे।