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Baniya Shayar

Drama Tragedy

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Baniya Shayar

Drama Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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दर्द -ए - दिल से उभर नहीं सकता

ज़िंदा रहना है मर नहीं सकता


शायरी इसलिए भी करता हूं

और कुछ भी मैं कर नहीं सकता


आज भी झील हैं तेरी आंखें

मैं दोबारा उतर नहीं सकता


ज़िंदगी ख़त्म कर लूं पर मां की

आंखों में अश्क़ भर नहीं सकता


उस गली पार है मेरी मंज़िल

जिस गली से गुज़र नहीं सकता


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