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Anuradha Negi

Drama

4.5  

Anuradha Negi

Drama

कुछ तो है

कुछ तो है

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अनकहा अनसुना सा है पर

लगता क्यों वो अपना सा है

एक अलग ही अहसास छुपा है

लगे खुली आंखों में सपना सा है।


कभी न चाहकर भी सोचते हैं 

कभी चाहकर भी न समझते हैं

क्यों एक खिंचाव सा बन गया हैै 

कभी न पूरेे हो वो ख्वाब पलते हैैं।


पल भर मेंं दिन बीत गया जब

मेंरे साथ में तेरी ही यादें गुम थी 

क्या शिकायत करती उस रब से

जिस इंतजार में दीदार की धुन थी।


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