STORYMIRROR

Kuljeet Kaur

Drama

4  

Kuljeet Kaur

Drama

मुहब्बत

मुहब्बत

1 min
410

मुहब्बत आम से खास बना देती है,

दिल की इस धड़कन को ओर धड़का देती है,

ये इश्क जब सर पर चढ़ जाए,

तो रांझे को भी फ़कीर बना देती है,


इसकी हर राह में बिछे कांटे हैं,

वहां मंजिल नहीं मिलती,

यहां मिलते धर्म और जाति है,

जो इसे पार करे वो फिर वापिस ना आए,


जब आए तो कभी कफ़न में या

किसी की याद बन कर आए,

इस इश्क के खेल ने सब को बर्बाद किया,

उंगलियों पर नचा कर इस

"जीत" को भरी महफिल में बदनाम किया,


दुनिया की इस महफिल में बदनाम किया,

उसे बदनाम किया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama