Phool Singh

Drama Classics Inspirational

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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

बदलता वक्त

बदलता वक्त

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अजीब दौर में पहुंच गए हम

हालत कैसे बयां करूं

सच सबूत को जुटाता फिरता,

झूठ को मैं वफादार कहूं।।


चतुर-चालाक सदा बच निकलता

सीधे-सच्चे को बदनाम करूं

मखौठे पहनकर लोग है मिलते,

किसको-किसका वफादार कहूं।।


अपने होने का अहसास दिलाते

हर बार उनसे घाव सहूँ

हमदर्दी सदा ऐसे दिखाते,

जैसे उनसे अच्छा न कोई और कहूं।।


छुप-छुपकर कुछ वार है कराते

गीदड़ भेष में मित्र कहूं

वक्त पड़ने पर सदा दगा ही देते,

मैं भलाई में सब कुछ सहता चलूं।।


एक हाथ से ताली न बजती

सच्ची भी मैं ये बात कहूं

इंसानियत के लिए जो जीता हरदम,

उसको मूर्ख सदा बेवकूफ कहूं।।


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