Vaishnavi Kulkarni

Drama Tragedy

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Vaishnavi Kulkarni

Drama Tragedy

तनहाई

तनहाई

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अब तो कोई भी नज़र आ जाए तो ख़फ़ा हो जाता हूँ।

क्योंकि हर किसी में अब बेवफ़ाई के निशान मिलते हैं।


मैंने मोहब्बत को बहुत तलाशा है इस ज़माने में,

लेकिन वो हर बार मेरी ही आँखों में नीर बहला के चली जाती है।


हर दिन लगती हैं आस मुझे किसी अपने के मिलन की,

मगर हर शाम मेरे दामन मे मायुसी थमाकर लौट जाती है।


रात की थंडी हवाए भी मेरी सांसो को अब महकाती नहीं,

अब तो चांदनी भी मेरी तन्हाई पर जी भरके हसती हैं।


कब मेरे दिल की प्यास बुझेगी ये तो शायद खुदा ही जाने,

ख्वाबों के अरमान तो दिन - ब -दिन कुचले ही जा रहे हैं। 


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