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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

यूँ ख्वाब कोई जो बिखरे.....

यूँ ख्वाब कोई जो बिखरे.....

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यूँ ख़्वाब कोई जो बिखरे, पलकों पर बोझ रह जाए,

पलकों पर बोझ जब ठहरे, नए ख्वाब कोई कैसे सजाए?

अरमाँ जब दिल से बिछड़े, तो नींदों में आग लगाए,

नींदें जब आँखों में सुलगें, नए ख्वाब कोई कैसे सजाए?

यूँ ख़्वाब कोई जो बिखरे…..


मुझसे मत पूछो कितने, ख्वाबों का सौदा हुआ है,

अब दिल को होश नही है, ज़ख्मों से रौंदा हुआ है।

>जब आस ही, पास न सिमटे, तो प्यास मन की बढ़ाए,

प्यास जब नज़रों में छलके, नए ख्वाब कोई कैसे सजाए?

यूँ ख़्वाब कोई जो बिखरे…..


आते-जाते हर पलछिन, दिल को छलते रहते हैं,

ये जुगनू, छलिया होकर भी, सच और सच्चे लगते है।

जब सच भी झूठ सा निकले, तो झूट भी सच हो जाये,

झूट जब नज़र को भरमाए, नए ख्वाब कोई कैसे सजाए?

यूँ ख़्वाब कोई जो बिखरे…..



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