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NOOTAN KUMARI

Drama Romance Classics

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NOOTAN KUMARI

Drama Romance Classics

ताजमहल

ताजमहल

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मोहब्बत को अक्सर तरसती दिवारें

ताजमहल कि, मायूस मिनारें

उम्मीद ऐ गुलशन में सच्चे प्रेमियों की

इंतज़ार में बूढ़ी होती मज़ारें


की फिर कोई रोशन इस बहार को करे

संगेमरमर को छूले और सदाबहार करे

फिर कोई नाम फ़लक तक जा पहुँचे

दीदार को ताजमहल खुद इंतज़ार करे


देखा है इसने मजनू लैला, रांझा हीर को

ना देखा नया कोई, जैसे झलकने को तरस्ता नीर हो

शायद अब गुम है वो सच्चाई कहीं

इसी ग़म में सफ़ेद से पीली होती इसकी पीर हो।


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