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NOOTAN KUMARI

Drama Tragedy

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NOOTAN KUMARI

Drama Tragedy

बेरुखी

बेरुखी

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जाने किस मर्ज़ की दवा ढूँढते हैं

जी रहे है जीने की वजह ढूंढते हैं

नाज़ ए ज़िंदगी नाराज़ है हम तुझसे

तेरी बेरुखी का सिला ढूंढते हैं


जाने कब हुईं गलतियां बेशुमार

खड़ी जिसपर टकरार की दीवार

हर एक दरार में गिला ढूंढ़ते हैं

तेरी बेरुखी का सिला ढूंढते हैं


कभी शामों को खिलता फ़लक ढूंढते हैं

कभी सुबह कि पहली झलक ढूंढते हैं

सब पाकर भी क्यूँ इतनी गुमसुम है तू

 ए ज़िंदगी!!

मुस्कुराने को खोयी वजह ढूंढते हैं

बस तेरी बेरुखी का सिला ढूंढते हैं 


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