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NOOTAN KUMARI

Tragedy

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NOOTAN KUMARI

Tragedy

चलो अब रहने दो!

चलो अब रहने दो!

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अब तो कुछ भी नहीं मिला कहने को

दिल ने कहा बहुत हुआ अब रहने दो,


क्यों बेकार में फ़िरना दर-बदर?

किनारों को ही नहीं दरिया की डगर,


क्या शिकायत आसमान करे?

जब चाँद को ही नहीं तारों की फ़िकर,


एक और दिन गुज़रा है हर दिन की तरह

जहाँ किसी को नहीं किसी की परवाह,


सब पर जिंदगी का उधार है

कोई चुकाता है, कोई चिंता का शिकार है,


बैठे हैं थक हार कर सब

कोशिशें भी शायद ख़तम हुई अब,


बाकी भी तो नहीं कुछ सहने को

फिर ख़याल आया चलो अब रहने दो।


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